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कभी गांव के मर्दों को सुबह नींद खुलते ही चाहिए थी शराब, 5 साल में औरतों ने ऐसे बदली आदत

शिखा श्रेया/रांची. शराब का नशा ऐसा होता है कि पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है. इसका परिवार की नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र व समाज पर भी काफी बड़ा दुष्प्रभाव देखा जाता है. इसी दुष्प्रभाव का शिकार हुआ झारखंड की राजधानी रांची से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खूंटी प्रखंड का भूत गांव. जहां 5 साल पहले तक गांव के सारे आदमी शराब व हड़िया पीकर मस्त रहते थे. इस दौरान कोई आदमी काम नहीं करता था, लेकिन आज यह गांव पूरी तरह शराब व तंबाकू मुक्त हो चुका है.

गांव की निवासी मीना देवी के मुताबिक, आज से 5 साल पहले का समय ऐसा था कि हर घर के मर्द हड़िया व शराब के नशे में चूर होते थे. किसी चीज की जिम्मेदारी नहीं उठाते थे, ना ही काम पर जाते थे. घर की हालत बदतर हो चुकी थी. कई बार तो घर में राशन नहीं होता था. यही नहीं, मर्द राशन के पैसे भी छीन कर शराब हाड़िया में उड़ा देते थे. तब हम महिलाओं ने ठाना कि इस गांव को शराब मुक्त करना है.

सुबह नींद खुलते ही चाहिए थी शराब
कुछ सालों पहले तक इस गांव के आदमियों को सुबह आंख खुलते ही पानी से पहले शराब की जरूरत पड़ती थी और अगर शराब के लिए पैसे ना दो तो घर में हिंसा जैसी चीज भी करने से परहेज नहीं करते थे. इससे ना सिर्फ घर की हालत खराब होती थी बल्कि पूरे गांव की भी हालत बद से बदतर होती जा रही थी. इसे देखते हुए गांव की महिलाओं ने एक समूह बनाया और शराबबंदी को लेकर विचार-विमर्श किया. मीना देवी बताती हैं कि हम महिलाओं ने साथ मिलकर गांवों का शराब मुक्‍त करने की ठानी. अगर शराब नहीं बनेगी, तो यह पीएंगे कैसे.

आपके शहर से (रांची)

मीना देवी बताती हैं कि पहले गांव की लगभग हर एक औरत हड़िया बेचकर अपने घर का गुजर-बसर करती थी, लेकिन इससे हमारे ही घर के पुरुष शराब पीकर बेहोश पड़े रहते थे. इसको देखते हुए हम महिलाओं ने ठाना कि आज से हम शराब बनाना बंद कर देंगे. साथ ही काम के लिए आसपास के गांव, आसपास की दुकान और सरकारी योजना जैसे मनरेगा के तहत मजदूरी करेंगे. इस फैसले के बाद गांव में मानों क्रांति आ गई. जब शराब बननी बंद हुई, तो गांव के लोगों के नशा करना मुश्किल होने लगा. इसके बाद धीरे-धीरे गांव के आदमियों ने काम पर जाना भी शुरू कर दिया.

शराब बनाने व शराब पीने पर लगा जुर्माना
मीना देवी बताती हैं कि हमने एक पहल और की कि जो भी शराब बनाएगा उस पर 1000 रुपये और शराब पीने वाले पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. इस तरकीब ने काफी काम किया और हमने इस नियम को बहुत सख्ती से लागू किया. हम घर घर जाकर देखते थे कि कहीं चुपके से शराब तो नहीं बन रही है. अगर कहीं नियम का पालन नहीं होता था, तो शराब खराब कर हम जुर्माना वसूलते थे. पूरी एकजुटता के साथ हमने इस काम को किया. आज गांव पूरी तरह शराब और तंबाकू मुक्त हो चुका है.

आज गांव में है डिजिटल सरकारी स्कूल
इस गांव में एक समय शिक्षा जैसी कोई चीज थी. शिक्षा का नाम भी गांव के बच्चों ने शायद ही सुना होगा, लेकिन आज इस गांव में डिजिटल क्लासरूम युक्त सरकारी स्कूल काफी गुणवत्ता से चलाया जा रहा है. स्कूल के प्राचार्य भोलेनाथ ने बताया कि एक समय था जब लोग शराब के नशे में चूर रहते थे. तब हमने घर-घर जाकर बच्चों को शिक्षा का महत्व बताना शुरू किया और बच्चों को पहचान कर इस स्कूल में दाखिला दिलवाया. कभी खाने का लालच दिया तो कभी अच्छे कपड़ों का. इस तरह धीरे-धीरे बच्चे स्कूल आते गए. आज आलम यह है कि डिजिटल क्लासरूम से लेकर कंप्यूटर लैब तक की सुविधा मौजूद है.

Tags: Jharkhand news, Liquor Ban, Ranchi news, Tobacco Ban

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